राज्य में इस बार सर्दियों के सीजन में बारिश और बर्फबारी न होने के कारण बीते चार महीने से बारिश और बर्फबारी न होने के कारण कई इलाकों में सूखे जैसे हालात उत्पन्न हो गए हैं। उत्तरकाशी में बर्फबारी न होने के कारण ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं। जिसे जानकार पर्यावरण के लिए बड़ा खतरा बता रहे हैं।
पिघल रहे ग्लेशियर
उत्तरकाशी में हर बार सर्दियों के सीजन में पहाड़ी बर्फ़ से ढकी नजर आती थी वहीं इस बार अब तक बर्फबारी ना होने के कारण पहाड़ वीरान हैं। गंगोत्री यमनोत्री और गोमुख में अमूमन इस समय भारी बर्फबारी होने के कारण ग्लेशियरों को रिचार्ज होने का मौका मिलता था। लेकिन इस बार यहां भी बर्फबारी न होने पर हालत बेहद ही खराब हैं।
ग्लेशियरों से तीस साल पुरानी बर्फ भी अब पिघल रही है
इन ग्लेशियरों से तीस साल पुरानी बर्फ भी अब पिघल रही है और गौमुख ग्लेशियर धीरे-धीरे पीछे खिसक रहा है। जिसके कारण गंगा के अस्तित्व पर खतरा उत्पन्न हो गया है। इसके साथ ही क्लाइमेट चेंज की वजह से बुरांश और अन्य पौधों पर समय से पहले ही फूल खिलने शुरू हो गए हैं। हर्षिल मे भी सेब के बागानों मे समय से पहले फूल खिलने लगे हैं। ऐसे में अब बारिश और बर्फबारी होगी तो काश्तकारों को भारी नुकसान होने की संभावना बनी हुई है।
गंगा के अस्तित्व पर भी मंडरा रहा खतरा
पर्यावरण से जुड़े जानकारों का कहना है कि जंगलों में लगी आग के कारण निकलने वाला कार्बन ग्लेशियर की बर्फ पर गिर रहा है। जिसके कारण ग्लेशियरों के डिस्चार्ज होने की गति चौगुनी हो गयी है। जिस कारण वर्षो पुरानी बर्फ़ तेजी से पिघल रही है।