श्रीनगरः गढ़वाल केंद्रीय विवि की पहली छात्रा प्रतिनिधि डॉ. शिवानी पांडे का प्रतिष्ठित महर्षि कणाद पोस्ट डॉक्टोरल फेलोशिप के लिए चयन हुआ है। राष्ट्रीय स्तर की इस फेलोशिप में पूरे देश के मात्र 50 छात्रों का चयन होता है। उन्होंने राजनीति विज्ञान विषय से पी.एच.डी की है। डॉ. शिवानी पढाई के साथ-साथ छात्र राजनीति मे भी सक्रिय रही हैं।
डॉ. शिवानी जनपद चमोली, थराली क्षेत्र के हरचन गांव से आती हैं। वर्ष 2023 में उन्होंने गढ़वाल विवि के राजनीति विज्ञान विषय से पी.एच.डी पूरी की। इस दौरान उन्होंने वनाधिकारों पर अपना शोध कार्य किया। इस से पहले वह छात्र राजनीति मे भी काफी सक्रिय रही हैं, साल 2016 में गढ़वाल विवि के छात्र संघ में चुनाव जीत करके अपनी जगह बनाई। डॉ. शिवानी गढ़वाल विवि की छात्र संघ की पहली छात्रा प्रतिनिधि रही।
डॉ. शिवानी ने देवभूमि लाइव की टीम से बात करते हुए बताया की, वह जिस इलाके से आती हैं, आज भी वहां उच्च शिक्षा को लेकर उतनी जागरूकता नहीं है, वह आगे बताती हैं की जब उनका चयन इस फेलोशिप के लिया हुआ और उन्होंने घर बताया तो उनके माँ-पिता जी को पहली बार पता चला की पीएचडी के आगे भी कोई पढाई होती है, आगे उन्होंने बताया की यहाँ तक पहुंचने में उनके माँ और पिता जी के बिना संभव नहीं हो सकता था उन्होंने कभी भी पढाई को लेकर समझौता करने की बात नहीं कही, जहाँ एक तरफ पढाई पूरी करने से पहले लड़कियों की शादी हो जाना एक आम बात है, वही मेरे माँ-पापा ने समाज की परवाह किये बिना मुझे पढ़ने में हमेशा मदद की है।
डॉ. शिवानी साक्षात्कार को लेकर बताती हैं की वह इसके लिए बिलकुल भी तैयार नहीं थी, क्योंकि उनके मन में एक संका थी की साक्षात्कार में उन लोगों से मुक़ाबला करना है जिनके पास शिक्षा के सरे संसाधन पहले से ही मौजूद हैं। हम पहाड़ी इलाकों से आने वाले लोगों के पास हमेसा ही स्वास्थ, शिक्षा और रोजगार का अभाव रहा है और ये ही हमारे अंदर झिझक पैदा करता है, इस लिए उनके मन में ये सवाल था कि कैसे वह इसको पार कर पाएंगी, फिर परिवार से मोटिवेशन मिला और बस सब हो गया, आगे वह बताती हैं की हमको कभी भी खुद को कमजोर नहीं समझना चाहिए, अगर हमारे पास विषय की समझ है तो बैकग्राउंड से कुछ भी फर्क नहीं पड़ता है।
पोस्ट डॉक्टोरल फेलोशिप मुख्य रुप से उन शोधार्थीयों को प्रदान किया जाती है जिन्होंने सक्षमता से शोध कार्य के जरिए अपने कौशल का प्रदर्शन किया हो, पी.एच.डी की उपाधि प्राप्त की हो और उच्च श्रेणी का शोधकार्य किया हो। फेलोशिप प्राप्त करने वाला छात्र किसी ख्यातिप्राप्त शोध संस्थान अथवा विश्वविद्यालय से संबद्ध होना चाहिए।