देहरादून: बच्चो का भविष्य बिना शिक्षकों के किस दिशा में जा रहा है। कुछ विद्यालयों में शिक्षामित्र तक नहीं हैं। दशाश्वमेध जोन के एक प्राथमिक विद्यालय में 31 बच्चों को एक ही शिक्षक पढ़ाता है। ऐसी स्थिति वाराणसी के कई विद्यालयों में बनी हुई हैं। शहर के 28 बेसिक स्कूलों में लगभग 2300 बच्चे पंजीकृत हैं। लगभग 65-70 बच्चों वाले पांच बेसिक स्कूल एक या दो शिक्षामित्र के हवाले हैं। वहीं, 23 स्कूलों में एक ही अध्यापक सारी जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। उनका साथ देने के लिए कहीं एक शिक्षामित्र हैं तो कहीं वह भी नहीं हैं।
दशाश्वमेध जोन के प्राथमिक विद्यालय राजा दरवाजा में 31 बच्चे पढ़ते हैं, उन्हें पढ़ाने की जिम्मेदारी एकमात्र शिक्षामित्र की है। प्राथमिक विद्यालय भगतपुर में 66 और प्राथमिक विद्यालय सिकरौल नंबर-1 में 70 बच्चों को एक-एक शिक्षामित्र पढ़ाते हैं। प्राथमिक विद्यालय दुर्गाघाट में दो शिक्षामित्रों की तैनाती है। इसी तरह आदमपुर जोन के प्राथमिक विद्यालय छित्तनपुरा में एक शिक्षामित्र पर विद्यालय के सभी 36 बच्चों की जिम्मेदारी है। नगर शिक्षा अधिकारी स्कंद गुप्ता ने बताया शिक्षकों की कमी की समस्या से उच्चाधिकारियों को अवगत कराया गया है।
आदमपुर जोन के प्राथमिक विद्यालय रघुबीर में एक ही अध्यापक की नियुक्ति है। स्कूल के प्रधानाध्यापक ही बच्चों को पढ़ाने-लिखाने से लेकर अन्य प्रशासनिक कार्य के लिए जवाबदेह हैं। 50 छात्र और 51 छात्राओं वाले इस स्कूल में 101 विद्यार्थी अध्ययन करते हैं। यही स्थिति 22 अन्य विद्यालयों की भी है।
20 विद्यालयों में प्रधानाध्यापक नहीं
नगर क्षेत्र के 20 प्राथमिक विद्यालयों में प्रधानाध्यापक नहीं हैं। सहायक अध्यापक और शिक्षामित्र व्यवस्था चला रहे हैं। सहायक अध्यापकों को ही प्रधानाध्यापक का काम भी देखना पड़ता है। दूसरी ओर 13 बेसिक स्कूलों में सहायक अध्यापक नहीं हैं। इनमें प्रधानाध्यापक या शिक्षामित्र शिक्षा की गाड़ी हांक रहे हैं।
ग्रामीण इलाकों में एक-एक विद्यालय पर 20 से 25 अध्यापक
शहर क्षेत्र के बेसिक स्कूलों में जहां शिक्षकों की संख्या बेहद कम है, वहीं ग्रामीण क्षेत्र के विद्यालयों में शिक्षकों की संख्या कहीं ज्यादा है। ग्रामीण क्षेत्र के एक रसूलगढ़, सलारपुर, कोटवां आदि प्राथमिक विद्यालयों में 20 से लेकर 25 तक अध्यापक-शिक्षामित्र हैं।